कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। शंकर हो संकट के नाशन। https://shivchalisas.com